दार्शनिक एवं संत स्वामी विवेकानन्द

कोई भी काम एक दिन में नहीं होता. धर्म को गोली के रूप में निगला नहीं जा सकता. इसके लिए कठिन एवं निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। मन को केवल धीमे और स्थिर अभ्यास से ही जीता जा सकता है।

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07
Jan
2024 6:24 PM


दार्शनिक एवं संत स्वामी विवेकानन्द