कण कण में है पुरुषोत्तम राम, उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम से भी कहा जाता है। 

आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को लंकापति रावण का वध करने के बाद श्रीराम कार्तिक अमावस्या के दिन अपने राज्य कौशल वापिस लौट रहे थे। लंका से कौशल आने की अवधि में वे विभिन्न स्थानों पर रूकते हुए आते है। तुलसीदास कृत रामचरितमानस के अनुसार, रावण वध के पश्चात जब श्रीराम की अयोध्या वापसी की बेला आई तो धर्म-अधर्म के इस युद्ध मे उनके साथी रहे नील, जामवंत, हनुमान, सुग्रीव आदि दुःखी हो गए। अपने साथियों की मन:स्थिति को भांपते हुए श्रीराम ने उन्हें भी अपने साथ चलने के लिये कहा।

Culture

26
Jan
2024 1:42 PM


कण कण में है पुरुषोत्तम राम, उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम से भी कहा जाता है।