♦टीवी मीडिया या समाचार पत्र ? 

भारत , लोकतंत्र का देश , जिसका चौथा स्तभ कहा जाने वाला मीडिया जो जनता को साक्षरता और सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करता है। मीडिया जनता को जागरूक करने और सत्यता का परिचय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें विभिन्न मुद्दों पर जानकारी के साथ ही समाचार की गुणवत्ता बनाए रखने में भी सहायक होता है , जिससे हम सही और गलत के अंतर को समझ सकें। अभी तक आम जनता को समाचार दो रूपों मे ही मिल पाता है, एक टीवी चैनलों के माध्यम से और एक समाचार पत्र के रूप मे।  आज भारतीय मीडिया की अपनी प्रासंगिकता विलुप्त होती चली जा रही है। तभी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में हम 161वें स्थान पर है, यही पिछले वर्ष हमारा रैंक 150 था यानी हम सुधरने की बजाए बिगड़ते चले जा रहे है। आज टीवी चैनलों पर राजनीतिक ,  हिंदू- मुस्लिम, पाकिस्तान , रूस – यूक्रेन युद्ध  और अब  इजराइल - हमास युद्ध प्रमुखता से देखने को मिल जाते है। खासकर डिबेट चर्चाओं में अक्सर उनके प्रस्तोता पैनल के सदस्यों को भड़काऊ बयान देने के लिए उकसाते देखे गए हैं। नूपुर शर्मा प्रकरण मे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश यह कहने को प्रेरित हुए कि टीवी पर इसे लेकर आयोजित हुई बहसों की एक बड़ी भूमिका देश में अराजकता पैदा करने में है। आजकल तो आपराधिक मुकद्दमों से संबंधित मामलों पर टी.वी. चैनलों पर बहस चलायी जा रही है, जिसका मामला कोर्ट मे लंबित है और एंकर खुद निर्णय तक अंत मे सुनाने लग जाते है। यह भी चर्चा है कि मुख्य रूप से हिन्दू-मुस्लिम से जुड़े किसी भी विषय पर जिन मेहमानों को बुलाया जाता है, उन्हें उसके लिए पैसे दिए जाने के साथ ही पूरी बहस की पटकथा पहले तय कर ली जाती है। यह सब टीआरपी के लिए किया जाता है। इन सब मे जो महत्वपूर्ण पर्यावरण , टेक , विज्ञान आदि की खबरों की कब्र बन जाती है, दिखाई नही देती है।  तो वहीं आज भी समाचार पत्र अपनी प्रासंगिकता को बनाएं हुए रखे है। हमें देर से खबर जरूर मिलती है लेकिन विषयों को गहराई से समझने में मदद मिलती है, एक समाचार पत्र मे हम राजनीति, अर्थशास्त्र , विज्ञान, मनोरंजन ,खेल, स्वास्थ्य और  साप्ताहिक में किसी स्थान के बारे में , किसी के इतिहास के बारे में , जीवन से संबंधित  आदि जानकारी होती हैं। जो डिजिटल युग मे आज भी जिंदा बनाए रखने मे कारगर है। समाचार पत्र हमें अपने चयन के लिए अधिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और विस्तृत लेख और गहराई से खबरें अधिक समझ विकसित करने मे सहायक होती है। सबसे बड़ी बात हर एक बीट का ध्यान रखा जाता है।  किसी समाचार पत्र के पर्यावरण अंक मे मैंने संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन- कॉप-28 में देशों ने ऐतिहासिक संयुक्‍त अरब अमीरात आम सहमति का अनुमोदन किया है। इसमें वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने और जीवाश्म ईंधन से दूर रहने का आह्वान की खबर को पढ़ा था। यह समाचार आपको टीवी पर शायद न दिखा हो।  ऐसी  कई जरूरी खबरें हमसे प्रतिदिन छूट जाती है, जो जरूरी होती है। शायद हमारी टीवी मीडिया प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक मे नए साल मे सुधार करें और चौथा स्तम्भ होने की सत्यता को सिद्ध भी करें।                       

Personal

17
Dec
2023 12:47 AM


♦टीवी मीडिया या समाचार पत्र ?