भारतीय खाना और वैज्ञानिक महत्व'
खाना हमारी मूलभूत आवश्यकता क्यूंकि इसके बिना किसी भी जीव का जीवित रहना असंभव है। हमारे संसार में विभिन्न संस्कृतियाँ है और उनकी विभिन्न परंपराएं। हर संस्कृति का खान-पान भी अपनी परंपरा और क्षेत्रीय वर्ग पर निर्भर होता है। भोजन वह पदार्थ जिसमें अनिवार्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, वसा और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो किसी भी जीव के शरीर में विकास और महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। भारतीय भोजन की अगर बात करें तो इसका इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। भारतीय भोज कई सभ्यताओं का मिश्रण है। जैसे सिंध घाटी के लोग पौधे, जड़ी-बुटियाँ और अनाज को मूख्य रूप से लेते थे। मुगल भोजन को कला की तरह देखते थे चाइनीज ने चाय को तो पूर्तगाल ने लाल मिर्च का महत्व बताया। भारत में खाने का तरीका हाथ से है। हाथ से खाना भारत की पहचान है। आयुर्वेद की माने तो हाथ से खाने से पाँचो तत्व मिलकर पाचक रस बनाते है। अंगूठा स्थान को, तर्जनी या बड़ी फिंगर हवा को, मध्यमा आग को, रिंग फिंगर पानी और आखिरी उंगली पृथ्वी को दर्शाती है और ये पाँचो उंगलियाँ नस पाचन क्रिया के लिए महत्वपूर्ण है। जमीन पर बैठकर हाथ से खाने से रीढ़ की हड्डी मुड़ती रहती है जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है। भारत के इलावा अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में भी खाना हाथ से खाया जाता है। अब बात करें थाली की तो भारतीय थाली में मौजूद खाना वैज्ञानिक रूप से शरीर के पूर्ण पोषण के लिए उपयुक्त है स्वास्थ्य के लिए भोजन में एक चौथाई प्रोटीन, एक चौथाई कार्बोहाईड्रेट और आधी सब्जियाँ अनिवार्य है। स्वस्थ भोजन खाने से प्रजनन स्वास्थ्य, यौन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हार्मोनस का संतुलन बना रहता है। कंई स्वस्थ पदार्थों में कई एंटीआक्साईड पाए जाते है जो कैंसर जैसी बिमारियों को रोकने की क्षमता रखते हैं।
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27
Nov 2023 5:57 PM
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