नदी और हमारा संबंध
मै नदी हूँ, और मानव मेरे परिवार का हिस्सा है, मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने आख़िरी दम तक उसकी सेवा करूँ । जन्म से लेकर मृत्यु तक मैने उसकी सेवा की है, और भविष्य मे करती रहूँगी । मगर आज मानव ने मेरी अवहेलना करना शुरू कर दिया है, और यह भूल गया है कि मेरे बिना उसका जीवन संभव नही है । उसने अपने मानव होने का गुण शायद त्याग दिया है ।
Spiritual
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08
Jan 2024 9:59 PM
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